मंजिल दूर है अभी
पर थका नहीं हु कभी
रात में जागता हु तन्हा
पर रहता है तेरा खयाल सदा
रौशनी है निगाहों में अभी
जुस्तजू है कारवां में मंजिल को पाने की
रात में जागता हु तन्हा
पर रहता है तेरा खयाल सदा
रौशनी है निगाहों में अभी
जुस्तजू है कारवां में मंजिल को पाने की
रुकने का सोचा नहीं कभी
मंजिल यही कहीं है अभी
मंजिल यही कहीं है अभी
अंधेरी रात के साए को मिटा
तू सोच से अपनी मंजिल को भी पा
सच है किनारा मिलता है उन्हें
थकी हुई जिंदगी जीते नहीं जो कभी
उनके लिए मंजिल है यही कही
सच है किनारा मिलता है उन्हें
थकी हुई जिंदगी जीते नहीं जो कभी
उनके लिए मंजिल है यही कही
यु कुछ सपने टूट गए तो
चन्द अश्रू चक्षु से बह गए तो
अपनी उम्मीदों के परो को कटने मत दे
तू बढ , आज नहीं तो कल
जीत होगी तेरी हर पल ...जीत होगी तेरी हर पल .
तू बढ , आज नहीं तो कल
जीत होगी तेरी हर पल ...जीत होगी तेरी हर पल .
very nice ... ummid pe duniya kayam hai .... :)
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