Tuesday, May 14, 2013

तेरी रुस्वाई - separation & hurt


तेरी रुस्वाई ने तनहा कर दिया 
रोती हुई आँखों को नम छोड़ दिया 
फिर ना होगी बात यह कैसे सोच लू 
तू ना होगी कभी साथ यह कैसे मान लू 

मुक्कदर ने धोका दिया 
तूने  भी साथ छोड़ दिया 
पल पल रूह कांपती रही 
ऐसा नशा तेरी जुदाई ने कर दिया 

तू मुस्कुराती रहना 
हाथ किसी वफादार साथी का तू थाम लेना 
गर कोई ऐसा मिले जो करे मुझसे ज्यादा मोहब्बत
तोह मेरी जलती हुई चिता पे पानी डाल मुझे बेवफा करार देना 

झूठ बोले हो भोहोत ,पर झूठा नहीं हूँ 
तू यह कैसे मान बैठी है की में तेरा नहीं हूँ  
दिल से निकली हर आवाज़ लहू से मैंने लिखी है 
पर नसीब भी था आवारा, उसको भी तू अब पानी समझ बैठी है 

कभी न कभी फिर मुलाकात जरुर होगी 
हो न हो तू भी आईने में खुद को देख अब रो रही होगी 
तेरे सपनो का हो घर में सजाता रहूँगा , अगली बार जब तुजसे मिलूँगा 
हाथ पकड़ के तुझे वही ले आऊंगा तुझे अपने पास खीच लाउंगा 

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