Sunday, May 12, 2013

आंसू - tryst of the tears

आंसू नहीं पानी की तरह बहने दे 
खून को समुन्दर में मत मिलने दे 
रूह काँप उठे एसे ना मुझे तू याद कर 
दूर रहके तू मुझसे ऐसे ना तू मुझे पुकार 

दिल से उठी आवाज़ है 
मिलने की इक्छा अब फिर जाग उठी है 
रेगिस्तान में आंसू बहा रहा हूँ 
सूरज को रौशनी दिखा तुझे ढूंड रहा हूँ 

झूठे नहीं है मेरे वादे ना झूठा में खुद हूँ 
में तो खुद भी सच का पता पूछ रहा हूँ 
ज़िन्दगी भर साथ रहने का जो मेने वादा किया था 
होश में था या नहीं अब भी यह सोच रहा हूँ 

माना मुझे पाने के लिए तू पल पल रोई 
कभी दिल से कभी आवाज़ दे के मुझे पुकारती रही 
बंद आँखों से में तेरे पास आता रहा 
मेरी आँखों को दोष न देना कुसूर सारा दिल पे मड देना 

अब जब वक़्त थम सा गया है 
मानो तू भोत दूर चला गया है 
दिल में तेरे होने की आहट अब भी है 
मेरे सीने पे तेरे चेहरे की छाप अब भी है 
तेरे आंसुओं से भीगी मेरी बाह अब भी है 

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