तन्हा रहके मैने सिखा जीना
हसलेता हूँ कभी, कभी रो लेता हूँ पर तन्हा अब भी रह लेता हूँ
याद तेरी जो ना आये तोह बेवफा खुद को समझ लेता हु
पर तुझे क्या पता कितना घुट रहा हूँ
तन्हाई का आलम अब यह है
आईने से खुद का पता पूछ रहा हूँ
किसके लिए तरस रहा हूँ यह तुझे क्या पता
पल पल याद कर, पन्ने पलट रहा हूँ
पर कोई किताब नहीं तू जिसको पढू और भूल जाऊ
तू तस्वीर है दिल की हकीकत में केसे पाऊ
फ़िदा हूँ फ़ना हूँ
खुश हूँ या नहीं यह पता नहीं
पर तेरी याद में आज भी तनहा हूँ
आज भी में तनहा हूँ ........
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