Wednesday, May 8, 2013

पल - The treasures from my memory of you


हर पल हर वक़्त ऑंखें करती है याद 
दिल धुन्ड़ता है तुजे 
संग बिताया हुआ हर पल याद है मुझे 
आए या ना आये तू सहारा वोही है मेरा अब 

सहर उठता  हूँ अकेले में कभी 
पर दिखावे के लिए खुश हूँ भोत अभी 
याद तेरी जो आये 
आँख बंद कर सोच लेता हूँ तू साथ है मेरे 
हो न हो कहीं फिर मिलजाए तू मुझे 

चलती है अब साँसे ऐसे 
नाम लिया हो तूने दिल से मेरा 
आईने में पास तुझको देख लेता हूँ 
वोह पल फिर लौट आये यह सोच खुश हो लेता हूँ  

ज़िंदगी का क्या है 
कब रुक जाये किसको पता है 
सोच रही है तू भी येही की ना सोचु में तुजे कभी 
पर वोह पल ही इतना हसीन था 
काश रुक जाता समय और तस्वीर बनजाती खाव्ब की 
पल ऐ पल और कितना रुलाएगा 
कब में आगे चलूँगा और तू हमारे पीछे आयेगा /

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